Saraswati Pushkaram 2025: 12 वर्षों में एक बार आने वाला अद्भुत स्नान पर्व – तिथियाँ, स्थान और पूजा विधि
Saraswati Pushkaram 2025: 12 वर्षों में एक बार आने वाला अद्भुत स्नान पर्व / सरस्वती पुष्करम 2025: पुण्य, पूजा और पवित्र स्नान का शुभ अवसर
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Table of Contents
1. सरस्वती पुष्करम क्या है?
सरस्वती पुष्करम भारत का एक अत्यंत पवित्र और दुर्लभ धार्मिक पर्व है, जो हर 12 वर्षों में एक बार मनाया जाता है। यह पर्व तब आता है जब गुरु ग्रह (बृहस्पति) मिथुन राशि में प्रवेश करता है। उस समय माना जाता है कि अदृश्य सरस्वती नदी पृथ्वी पर प्रकट होती है और उसमें स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।
यह पर्व विशेषकर उन श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो ज्ञान, विद्या और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
2. 2025 में सरस्वती पुष्करम की तिथि और स्थान
तारीख: 15 मई 2025 से 26 मई 2025 तक (कुल 12 दिन)
मुख्य स्थल: त्रिवेणी संगम, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
कलेश्वरम, तेलंगाना (जहां इस वर्ष प्रमुख आयोजन हो रहा है)
बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे तीर्थों पर भी भक्त स्नान के लिए एकत्र होते हैं।
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3. धार्मिक महत्व और पौराणिक मान्यता
पुराणों के अनुसार, सरस्वती पुष्करम के समय अदृश्य सरस्वती नदी का अवतरण होता है। यह नदी ब्रह्मा जी की पुत्री मानी जाती है और इसका संबंध विद्या, संगीत, और कला से है। पुष्कर काल में इस नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि जो भक्त पुष्करम के दौरान स्नान, दान, और जप-तप करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु और मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
4. स्नान और पूजा विधि
1. ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान के लिए तीर्थ स्थल जाएं।
2. तीन बार डुबकी लगाकर 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:' मंत्र का जाप करें।
3. दान में वस्त्र, अन्न, पुस्तक, विद्या संबंधित वस्तुएँ दें।
4. सरस्वती माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर पुष्प अर्पित करें।
5. साधना, ध्यान और जप के लिए विशेष समय निकालें।
5. प्रमुख आयोजन स्थल और कार्यक्रम
कलेश्वरम (तेलंगाना):
मुख्यमंत्री और संतों के सान्निध्य में उद्घाटन समारोह।
विशाल यज्ञ, संगीत भजन संध्या और संत प्रवचन।
प्रशासन द्वारा विशेष स्नान घाट, भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था।
प्रयागराज:
त्रिवेणी संगम में लाखों श्रद्धालुओं का स्नान
धर्मशालाओं में रुकने की सुविधा, संस्कार टीवी पर सीधा प्रसारण।
6. भक्तों के लिए सुझाव और सावधानियाँ
भीड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी जाएं।
प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
साथ में जल, प्रसाद, और दवाइयाँ रखें।
नदी में अधिक गहराई तक न जाएं।
श्रद्धा से जाएं, फोटो खींचने में अधिक समय न बिताएं।
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7. निष्कर्ष
सरस्वती पुष्करम 2025 एक अद्वितीय आध्यात्मिक अवसर है। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, ज्ञान प्राप्ति और मोक्ष की ओर अग्रसर होने का माध्यम है। जो लोग इस पावन अवसर का लाभ लेते हैं, उन्हें जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अवश्य देखने को मिलते हैं।
इस पर्व को परिवार और समाज के साथ मिलकर मनाएं, दूसरों को भी प्रेरित करें, और इस शुभ अवसर पर पुण्य अर्जित करें।
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Jai Saraswati maa🙏
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