Ekadashi 2025 Vrat List in Hindi: एकादशी व्रत की सम्पूर्ण जानकारी, नियम, महत्व और सभी तिथियां
Ekadashi 2025 Vrat List in Hindi: एकादशी व्रत की सम्पूर्ण जानकारी, नियम, महत्व और सभी तिथियां
2025 में एकादशी व्रत की पूरी जानकारी पाने के लिए यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी है।
हर महीने दो बार आने वाली एकादशी तिथि हिंदू धर्म में अत्यंत पावन मानी जाती है। यह दिन व्रत, भक्ति और आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित होता है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और व्रत रखकर अपने पापों का क्षय करते हैं।
इस लेख में आपको 2025 की सभी एकादशी तिथियों की सूची मिलेगी, साथ ही हर एकादशी का नाम, तिथि और उसका धार्मिक महत्व भी बताया गया है।
इसके अलावा, हम जानेंगे एकादशी व्रत के नियम, इसका महत्व, और सबसे प्रसिद्ध एकादशी कौन-सी है। यदि आप व्रत रखते हैं या धार्मिक अनुशासन में रुचि रखते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए अमूल्य साबित होगी।
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Table of Contents
1. एकादशी व्रत का महत्व
2. एकादशी व्रत रखने के नियम
3. एकादशी व्रत के लाभ
4. 2025 की सम्पूर्ण एकादशी व्रत सूची
5. प्रमुख एकादशियाँ और उनका विशेष महत्व
6. सबसे प्रसिद्ध एकादशी कौन सी है?
7. निष्कर्ष
1. एकादशी व्रत का महत्व (Importance of Ekadashi Vrat)
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह व्रत हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रती व्यक्ति उपवास रखकर प्रभु की भक्ति करता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी व्रत रखने से न केवल सभी पापों का नाश होता है, बल्कि यह व्रत मोक्ष का द्वार भी खोलता है। यह व्रत आत्म-शुद्धि, संयम, और साधना का प्रतीक है। जो भक्त श्रद्धा और नियम से एकादशी का पालन करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
यह दिन सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि मन को शांत करने और आत्मा को शुद्ध करने का मार्ग भी है। इसलिए सनातन संस्कृति में एकादशी व्रत को व्रतों का राजा कहा गया है।
2. एकादशी व्रत रखने के नियम (Rules of Ekadashi Vrat)
एकादशी व्रत को पूर्ण श्रद्धा, संयम और नियमों के साथ रखा जाना चाहिए। नीचे कुछ आवश्यक नियम दिए गए हैं:
- व्रत की शुरुआत दशमी से होती है, इसलिए दशमी की रात से ही सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और संयम बरतना चाहिए।
- व्रत वाले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। उसके बाद यह संकल्प मंत्र बोलें: "मम समस्त पापक्षयपूर्वक श्री विष्णुप्रीत्यर्थं एकादशी व्रतमहं करिष्ये।" फिर भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित करके व्रत का आरंभ करें।
- इस दिन अन्न, चावल, दाल आदि का सेवन वर्जित होता है। व्रती केवल फलाहार या निर्जल व्रत (शक्ति अनुसार) रखता है।
- दिनभर भगवान विष्णु का नामस्मरण, व्रत कथा का पाठ और भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- व्रत के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का 108 बार जप करें, इससे पुण्य बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है।
- रात्रि में जागरण और विष्णु सहस्रनाम का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- व्रत का पारण यानी उपवास खोलना, द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद शुभ समय में किया जाता है। इस दौरान व्रती को भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए फल, पानी या हल्का भोजन ग्रहण करना चाहिए।
इन नियमों का पालन कर यदि व्रती सच्चे भाव से एकादशी व्रत करता है, तो उसे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
3. एकादशी व्रत के लाभ / Benefits of Ekadashi Vrat
भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-शांति आती है।
व्रत करने से पापों का क्षय होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी उपवास मन, वाणी और कर्म की शुद्धि में सहायक होता है।
रोग, क्लेश और मानसिक अशांति दूर होती है।
जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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4. 2025 की सम्पूर्ण एकादशी व्रत सूची (Ekadashi List 2025 with Importance in Hindi)
जनवरी (January)
1. 9 जनवरी – पुत्रदा एकादशी
इस एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति की कामना रखने वालों के लिए अत्यंत शुभ होता है। भगवान विष्णु की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
2. 25 जनवरी – षटतिला एकादशी
यह व्रत दान-पुण्य और तिल के महत्व को दर्शाता है। इसे करने से पाप नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
फरवरी (February)
3. 8 फरवरी – जया एकादशी
यह एकादशी पापों से मुक्ति दिलाती है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
4. 24 फरवरी – विजय एकादशी
विजय एकादशी का व्रत जीवन में विजय और सफलता दिलाने वाला माना जाता है। यह व्रत श्रीराम से जुड़ा हुआ है।
मार्च (March)
5. 10 मार्च – आमलकी एकादशी
इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह एकादशी सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करती है।
6. 25 मार्च – पापमोचनी एकादशी
यह व्रत पापों का नाश करने वाला है। इसे करने से जीवन के पुराने पाप भी समाप्त हो जाते हैं।
अप्रैल (April)
7. 8 अप्रैल – कामदा एकादशी
यह व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। विशेष रूप से प्रेम संबंधों में सुधार के लिए इसे शुभ माना जाता है।
8. 24 अप्रैल – वरूथिनी एकादशी
यह व्रत रक्षा और बल देने वाला माना जाता है। इससे समाजिक और मानसिक सुरक्षा मिलती है।
मई (May)
9. 8 मई – मोहिनी एकादशी
मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने अमृत बचाया था। यह व्रत मोह और भ्रम से मुक्ति दिलाता है।
10. 23 मई – अपरा एकादशी
अपरा एकादशी से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में यश तथा मान सम्मान बढ़ता है।
जून (June)
11. 6 जून – निर्जला एकादशी
सभी एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। बिना जल के उपवास किया जाता है। इससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
12. 21 जून – योगिनी एकादशी
यह व्रत स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।
जुलाई (July)
13. 6 जुलाई – शयनी एकादशी
इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है।
14. 21 जुलाई – कामिका एकादशी
भगवान श्रीहरि को प्रसन्न करने वाली यह एकादशी सभी पापों का नाश करती है।
अगस्त (August)
15. 5 अगस्त – श्रावण पुत्रदा एकादशी
संतान सुख के लिए यह एकादशी अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उत्तम।
16. 19 अगस्त – अजा एकादशी
यह व्रत ब्रह्म हत्या जैसे पाप से भी मुक्ति दिलाता है। भगवान राम ने भी इसका पालन किया था।
सितंबर (September)
17. 3 सितंबर – परिवर्तिनी एकादशी
भगवान विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं। इसे "पद्मा एकादशी" भी कहा जाता है।
18. 17 सितंबर – इन्दिरा एकादशी
यह व्रत पितरों की मुक्ति के लिए किया जाता है। इससे पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
अक्टूबर (October)
19. 3 अक्टूबर – पापांकुशा एकादशी
यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।
20. 17 अक्टूबर – राम एकादशी
यह व्रत विशेष रूप से श्रीराम के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और पुण्यफल देने वाला है।
नवंबर (November)
21. 2 नवंबर – देवउठनी एकादशी
भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसे तुलसी विवाह के लिए विशेष माना जाता है।
22. 15 नवंबर – उत्पन्ना एकादशी
यह व्रत रात्रि जागरण और उपवास के साथ मनाया जाता है। यह सभी व्रतों की जननी कही गई है।
दिसंबर (December)
23. 1 दिसंबर – मोक्षदा एकादशी
गीता जयंती के रूप में भी मनाई जाती है। यह व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला है।
24. 15 दिसंबर – सफला एकादशी
यह व्रत जीवन में सफलता और समृद्धि प्रदान करता है। भगवान नारायण को समर्पित है।
25. 30 दिसंबर – पौष पुत्रदा एकादशी
यह दूसरी पुत्रदा एकादशी होती है, जो फिर से संतान सुख के लिए की जाती है।
5. प्रमुख एकादशियाँ और उनका विशेष महत्व
निर्जला एकादशी: बिना जल के रखा जाने वाला कठिनतम व्रत, सभी एकादशियों का फल देता है।
देवशयनी एकादशी: भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, चातुर्मास प्रारंभ होता है।
कामदा एकादशी: सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सर्वोत्तम।
अपरा एकादशी: मोक्ष प्रदान करने वाली विशेष एकादशी।
देवउठनी एकादशी: विवाह और शुभ कार्यों की शुरुआत।
मोक्षदा एकादशी: गीता जयंती के दिन, मोक्ष की प्राप्ति का द्वार।
पुत्रदा एकादशी: संतान प्राप्ति के लिए।
6. सबसे प्रसिद्ध एकादशी कौन सी है?
सबसे प्रसिद्ध और पुण्यदायिनी एकादशी निर्जला एकादशी मानी जाती है। यह व्रत कठिन होता है, क्योंकि इसमें जल भी नहीं लिया जाता, लेकिन माना जाता है कि इसे करने से वर्ष की सभी एकादशियों का फल एक साथ प्राप्त होता है। इसलिए इसे "सर्वश्रेष्ठ एकादशी" कहा गया है।
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7. निष्कर्ष / Conclusion
एकादशी व्रत न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह आत्म-संयम, ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। 2025 में इन सभी एकादशियों का पालन करके आप भगवान विष्णु की कृपा पा सकते हैं और अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर सकते हैं। श्रद्धा, नियम और भक्ति से किया गया यह व्रत निश्चित ही आपके जीवन को शुभ फल देगा।
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JAI SHREE KRISHNA!!
Jai shree krishna ji❤️❤️
जवाब देंहटाएंJai shree shyam ❤️
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