Vat Savitri Vrat 2025: व्रत की तिथि, कथा, महत्व और पूजा विधि
Vat Savitri Vrat 2025: व्रत की तिथि, कथा, महत्व और पूजा विधि
वट सावित्री व्रत क्यों रखा जाता है?
वट सावित्री व्रत भारतीय सनातन परंपरा का एक विशेष पर्व है, जिसे विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। यह व्रत प्रेम, शक्ति और नारी संकल्प की मिसाल है, जिसकी प्रेरणा हमें देवी सावित्री और सत्यवान की कथा से मिलती है। इस दिन महिलाएँ वट (बरगद) के पेड़ की पूजा कर व्रत रखती हैं और सावित्री की भक्ति और दृढ़ता का स्मरण करती हैं।
यह व्रत सिर्फ धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्व रखता है। इसमें पूजा विधि, व्रत कथा और व्रत के नियमों का विशेष पालन होता है, जो स्त्रियों की श्रद्धा और संकल्प शक्ति को दर्शाता है।
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Table of Contents / विषय सूची
1. वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त / Vat Savitri Vrat 2025 Date & Shubh Muhurat
2. व्रत का पौराणिक महत्व / Mythological Significance
3. व्रत की पूजा विधि / Puja Vidhi of Vat Savitri Vrat
4. सावित्री और सत्यवान की कथा / Story of Savitri & Satyavan
5. व्रत का नियम और पालन / Rules & Discipline of the Fast
6. वट वृक्ष का महत्व / Importance of Banyan Tree
7. निष्कर्ष / Conclusion
1. वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत 2025 इस वर्ष 26 मई 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को आता है।
व्रत तिथि: सोमवार, 26 मई 2025
अमावस्या आरंभ: 25 मई रात 11:26 बजे
अमावस्या समाप्त: 26 मई रात 9:22 बजे
2. व्रत का पौराणिक महत्व / Mythological Significance
यह व्रत विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इसका उल्लेख महाभारत में भी आता है। सावित्री ने इस व्रत के प्रभाव से अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था।
यह व्रत शक्ति, श्रद्धा और सच्चे प्रेम की मिसाल माना जाता है, जो स्त्रियों की दृढ़ संकल्प और निष्ठा को दर्शाता है।
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3. व्रत की पूजा विधि / Puja Vidhi
1. सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
2. वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा करें – जल, रोली, अक्षत, कच्चा सूत (मौली) चढ़ाएं।
3. वट वृक्ष की 7 या 21 परिक्रमा करते हुए मौली लपेटें।
4. व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
5. सास-ससुर का आशीर्वाद लें और सुहाग सामग्री दान करें।
6. शाम को पूजा के बाद फलाहार करें।
4. सावित्री और सत्यवान की कथा / The Story of Savitri & Satyavan
राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने तप से प्राप्त सत्यवान से विवाह किया, जिन्हें एक वर्ष बाद मृत्यु का वरदान मिला था। नियत समय पर यमराज सत्यवान की आत्मा ले जाने आए।
सावित्री ने यमराज का पीछा किया और अपनी चतुराई, भक्ति और पतिव्रता धर्म से उन्हें प्रसन्न किया। अंत में यमराज ने सत्यवान को पुनः जीवनदान दिया। तभी से यह व्रत 'वट सावित्री व्रत' के रूप में लोकप्रिय हो गया।
5. व्रत का नियम और पालन / Rules of Vat Savitri Vrat
- व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- काले, नीले वस्त्र न पहनें; लाल या पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- कथा सुने बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता।
- पूरे दिन व्रत रखकर शाम को फलाहार करें।
6. वट वृक्ष का महत्व / Importance of Banyan Tree
वट वृक्ष (बरगद का पेड़) को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप माना गया है।
इसकी जड़ में ब्रह्मा
तने में विष्णु
शाखाओं में शिव का वास होता है।
इसलिए इसे व्रत में पूजना विशेष फलदायी माना जाता है। यह दीर्घायु और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।
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7. निष्कर्ष / Conclusion
वट सावित्री व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रेम, श्रद्धा और आत्मबल का प्रतीक है। सावित्री की भक्ति और नारी शक्ति का आदर्श उदाहरण है यह पर्व। जो महिलाएँ इस व्रत को श्रद्धा से करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
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Jai savitri maa🙏🙏🙏
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