Krishna Quotes on War in hindi | युद्ध पर श्रीकृष्ण के अनमोल विचार इन हिन्दी
Krishna Quotes on War in hindi | युद्ध पर श्रीकृष्ण के अनमोल विचार इन हिन्दी
जब युद्ध और धर्म की बात आती है, तो श्रीकृष्ण का नाम सबसे पहले हमारे मन में आता है। महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में श्रीकृष्ण ने न केवल अर्जुन को मार्गदर्शन दिया, बल्कि पूरी मानवता को जीवन का गूढ़ संदेश भी प्रदान किया। युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं लड़ा जाता, बल्कि रणनीति, धैर्य और धर्म की समझ से भी जीता जाता है — यही श्रीकृष्ण ने दर्शाया।
Krishna Quotes on War in hindi यह विषय आज के समय में बेहद प्रासंगिक है, आज जब दुनिया एक बार फिर तनाव और टकराव के दौर से गुजर रही है, विशेषकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही स्थिति को देखते हुए, श्रीकृष्ण के युद्ध पर विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। उनके शब्द न केवल एक योद्धा को प्रेरणा देते हैं, बल्कि एक सामान्य व्यक्ति को भी सही और गलत में भेद करने की बुद्धि प्रदान करते हैं।
Krishna Quotes on War in hindi न केवल युद्ध की भावना को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि कब शांति छोड़कर धर्म के लिए खड़ा होना आवश्यक हो जाता है। इस पोस्ट में हमने श्रीकृष्ण के 50+ अनमोल विचारों को संकलित किया है, जो युद्ध, नीति और धर्म के संतुलन को गहराई से समझाते हैं।
श्रीकृष्ण के युद्ध, नीति और धर्म पर आधारित यह कोट्स, न केवल आपके विचारों को स्पष्ट करेंगे, बल्कि आपको अंदर से शक्तिशाली भी बनाएंगे।
1. जब धर्म संकट में हो, तब युद्ध करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
2. शांति तभी तक सुंदर है, जब तक अन्याय ना हो।
3. धर्म की रक्षा के लिए उठाया गया शस्त्र, पुण्य कहलाता है।
4. रणभूमि में वही जीतता है जो अपने अंतर्मन से भय को मिटा दे।
5. युद्ध केवल हथियारों से नहीं, नीति और बुद्धि से भी जीता जाता है।
7. कर्म करो, फल की चिंता मत करो — यही योद्धा का धर्म है।
8. अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्ची भक्ति है।
9. जब कर्तव्य सामने हो, तो मोह त्याग देना चाहिए।
10. कभी-कभी विनाश के लिए भी सृजन जरूरी होता है।
11. शस्त्र से नहीं, संकल्प से युद्ध जीता जाता है।
12. सत्य और धर्म के लिए लड़ा गया युद्ध, सदा पवित्र होता है।
13. जो अपने स्वार्थ के लिए लड़ता है, वह योद्धा नहीं — व्यापारी होता है।
14. युद्ध के मैदान में सबसे बड़ी जीत होती है — अपने डर पर।
15. धर्म को बचाने के लिए उठाया गया कदम, कभी अधर्म नहीं होता।
16. एक सच्चा योद्धा पहले खुद पर विजय प्राप्त करता है।
17. किसी भी युद्ध से पहले सबसे जरूरी है आत्मज्ञान।
18. रणभूमि में निर्णय की शक्ति ही सबसे बड़ा अस्त्र है।
19. न्याय के लिए लड़ा गया युद्ध कभी व्यर्थ नहीं जाता।
20. जो अपने धर्म से विमुख हो, उसका अस्तित्व शीघ्र समाप्त हो जाता है।
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21. एक राजा वही है जो युद्ध से पहले नीति जानता हो।
22. शांति तभी स्थाई रहती है जब अधर्म मिटाया जाए।
23. जो मोह में फंसकर अपने कर्तव्य से हटे, वह वीर नहीं।
24. वीरता का अर्थ केवल मारना नहीं, धर्म के लिए लड़ना है।
25. जब शांति असहाय लगे, तो युद्ध ही उत्तर होता है।
26. बिना युद्ध के कोई महान परिवर्तन नहीं आता।
27. युद्ध में सबसे बड़ी चुनौती होती है — मन को स्थिर रखना।
28. धर्मयुद्ध में मृत्यु भी विजय होती है।
29. जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए चुप रहे, वह अधर्मी कहलाता है।
30. रणभूमि वह स्थान है जहाँ आत्मा की परीक्षा होती है।
31. हर युद्ध एक संदेश देता है — सत्य की सदा जीत होती है।
32. जब अन्याय बढ़ जाए, तब श्रीकृष्ण का चक्र घूमता है।
33. अपने धर्म की रक्षा स्वयं करनी होती है।
34. जो दूसरों की पीड़ा को समझे, वही सच्चा योद्धा है।
35. कायर वही है जो युद्ध से भागे, वीर वही है जो टिके रहे।
👉इन सभी विचारों का मूल स्रोत भगवद गीता है – आप अध्याय 2 के श्लोकों का अर्थ यहाँ पढ़ सकते हैं।
36. रण में वही सफल होता है जिसे अपनी अंतरात्मा का साथ मिले।
37. न्याय के पक्ष में लड़ा गया युद्ध, सदा स्मरणीय रहता है।
38. हर युद्ध के बाद एक नई सुबह आती है।
39. जो शांति चाहता है, उसे पहले अधर्म को हराना होगा।
40. युद्ध तब जरूरी हो जाता है जब मौन भी अपराध बन जाए।
41. सच्चे योद्धा की तलवार नहीं, उसका संयम बोलता है।
42. शक्ति का सही प्रयोग ही सच्चा धर्म है।
43. धर्म का रक्षण करने वाला स्वयं रक्षित रहता है।
44. युद्ध में जीत उतनी नहीं जितनी धर्म में सच्चाई हो।
45. अन्याय को सहना भी अधर्म होता है।
46. जब नीति से बात न बने, तब युद्ध से निर्णय होता है।
47. अर्जुन! जो तुझसे छीनना चाहे, उसके विरुद्ध खड़ा हो जाना ही धर्म है।
48. विजय केवल ताकत से नहीं, सत्य के साथ चलकर मिलती है।
49. धर्मयुद्ध की विजय आत्मा की शांति है।
50. अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है।
51. श्रीकृष्ण के अनुसार, युद्ध एक माध्यम है — अधर्म को मिटाने का।
52. अगर तीर चलाना है, तो पहले विवेक जगाओ।
53. युद्ध का निर्णय तलवार से नहीं, विवेक से होता है।
54. जब अधर्म बढ़े, तब श्रीकृष्ण अवतरित होते हैं।
55. शक्ति तभी पवित्र है जब वह धर्म के लिए प्रयोग हो।
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Conclusion (निष्कर्ष):
Krishna Quotes on War in hindi हमें यह सिखाते हैं कि जब अधर्म और अन्याय बढ़ जाए, तो चुप रहना भी एक पाप बन जाता है। श्रीकृष्ण का ज्ञान हमें न केवल बाहरी युद्ध, बल्कि आत्मिक संघर्षों में भी विजय दिलाने में सक्षम बनाता है।
श्रीकृष्ण के युद्ध संबंधी विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने महाभारत के समय थे। चाहे वह नीति की बात हो, आत्मबल की, या धर्म के लिए खड़े होने की — उनके शब्द हर परिस्थिति में मार्गदर्शक हैं।
इस लेख के माध्यम से आप न केवल श्रीकृष्ण के युद्ध दर्शन को समझ पाए होंगे, बल्कि यह भी जाना होगा कि एक सच्चा योद्धा कैसे सोचता और लड़ता है।
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Jai Shree Krishna!
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जवाब देंहटाएंशांति तभी तक सुंदर है, जब तक अन्याय ना हो। ✅️ 🙏