Raas Leela – श्रीकृष्ण की रास लीला की रहस्यमयी कथा

Raas Leela – श्रीकृष्ण की रास लीला की रहस्यमयी कथा श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित रास लीला को भगवान श्रीकृष्ण की सबसे दिव्य और रहस्यमयी लीलाओं में से एक माना जाता है। यह केवल एक नृत्य नहीं था, बल्कि भक्ति, प्रेम और आत्मसमर्पण का अद्भुत संगम था। वृंदावन की गोपियाँ, जिनके हृदय में केवल कृष्ण ही बसते थे, जब भगवान ने अपनी मधुर मुरली बजाई तो वे सब कुछ छोड़कर उनके सम्मुख आ पहुँचीं। रास लीला में भक्ति की पराकाष्ठा दिखाई देती है, जहाँ भक्त और भगवान के बीच कोई दूरी नहीं रहती। यही कारण है कि इसे "आध्यात्मिक मिलन की लीला" कहा गया है। यह कथा केवल प्रेम की नहीं, बल्कि भक्त और ईश्वर के बीच अटूट संबंध का प्रतीक है। 🔹 रास लीला का प्रसंग कथा के अनुसार, एक दिन शरद ऋतु की पूर्णिमा की रात थी। यमुना तट पर चंद्रमा की शीतल चाँदनी बिखरी हुई थी। वातावरण अत्यंत मनोहर था – मंद-मंद पवन बह रही थी, कदंब और अन्य वृक्षों पर पुष्प खिले हुए थे, और पक्षी भी चहक रहे थे। उस रात की सुंदरता स्वयं भगवान को भी मोह लेने वाली थी। श्रीकृष्ण ने अपनी मधुर बांसुरी बजानी प्रारंभ की। उस बांसुरी की धुन सुनकर वृंदावन की प्...