Bhagavad Gita Chapter 4 – ज्ञान कर्म संन्यास योग हिंदी में | Gyan Karma Sanyas Yog

Bhagavad Gita Chapter 4 – ज्ञान कर्म संन्यास योग हिंदी में | Gyan Karma Sanyas Yog प्रस्तावना भगवद गीता अध्याय 4 – ज्ञान कर्म संन्यास योग , श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें कुल 42 श्लोक हैं। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को यह बताते हैं कि किस प्रकार ज्ञान और कर्म का सही संतुलन जीवन में मोक्ष की ओर ले जाता है। श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि यह दिव्य ज्ञान उन्होंने स्वयं सूर्यदेव को दिया था, जो राजर्षियों के माध्यम से मानवता तक पहुँचा। समय के साथ यह ज्ञान लुप्त हो गया, और अब अर्जुन को पुनः दिया जा रहा है ताकि धर्म और कर्म का सही अर्थ समाज तक पहुँच सके। इस अध्याय में बताया गया है कि कर्म करते हुए भी कोई कैसे ज्ञान के सहारे बंधनों से मुक्त रह सकता है। ‘ज्ञान यज्ञ’ की महिमा, गुरु से ज्ञान प्राप्ति का महत्व और संशय के त्याग से आत्मा की शुद्धि — ये सभी विषय इस अध्याय में विस्तार से बताए गए हैं। यदि आप जीवन में संशय, आलस्य और मोह से मुक्त होकर कर्म और ज्ञान का संतुलन सीखना चाहते हैं, तो अध्याय 4 के 42 श्लोकों का यह सरल हिंदी अर्थ आपके लिए अमूल्य रहेगा।...